चमोली। बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार को विधि विधान के साथ खुल गए। हजारों श्रद्धालु इस पावन पल के साक्षी बने। कपाट खुलते ही धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। धाम के कपाट खुलने के दौरान हल्की बारिश के बीच आर्मी बैंड एवं ढोल नगाड़ों की मधुर धुन और स्थानीय महिलाओं के पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ भगवान बदरी विशाल की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ कुबेर जी, उद्धव जी एवं गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर में परिसर में लाया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल समेत धर्माधिकारी, हक हकूक धारी एवं बदरीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने प्रशासन एवं हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट खोले। मुख्य पुजारी वीसी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में भगवान बदरीनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए सबके लिए मंगलमय जीवन की कामना की। इसके साथ ही ग्रीष्मकाल के लिए बदरीनाथ के दर्शन शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम से शुरू होती है, जो गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बदरीनाथ धाम पहुंचती है। वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले आदिकेदारेशवर मंदिर के कपाट खुलते है। परंपरा के अनुसार सुबह पांच बजे से बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसके तहत 5 बजकर 20 मिनट पर पर वैदिक मंत्र उच्चारण शुरू हुए। इसके साथ ही जब रावल ने बदरीनाथ मंदिर के द्वार दरवाजे पर लगी सील को खोला, उसी समय राज दरबार के प्रतिनिधि कांता प्रसाद नौटियाल ने मंदिर के मुख्य द्वार का दरवाजा खोला और सर्वप्रथम बदरीनाथ के रावल और बतला बड़वा ने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया।
